कोई भी पुरुष (मानव) एैसा नहीं की, जो योग्य ना हो. सिर्फ़ उनकी योजना करनेवाला, योजक दुर्लभ होता हैं !
Monday, 14 February 2011
अमंत्र् अक्षरं नास्ति: नास्ति मुलं अनौषधम् ! अयोग्य: पुरुषो नास्ति: योजकस्त्र दुर्लभ:!!
कोई भी अक्षर एैसा नहीं की, जिसका मंत्र नहीं बन सकता. कोई भी मूली एैसी नहीं की, जिसमे औषधि गुण ना हो.
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